Dusra Kalma Shahadat | Free PDF Download 2023

Bismillahir Rahmanir Raheem, Assalamu’alaikum Warahmatullahi Wabarakatuh, In this article I will provide you Dusra Kalma Shahadat in Hindi, English, Arabic, Urdu with Tarjuma.

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KalmaKalma Ka NaamKalma Ka Meaning
1. Pehla Kalmaतय्यबपाकी
2. Dusra Kalmaशहादतगवाही देना
3. Teesra Kalmaतमजीदबुजुरगी
4. Chautha Kalmaतौहीदअकेला
5. Panchwa Kalmaअस्तगफारतौबा करना
6. Chata Kalmaरददे कुफ्रविश्वासघात से पीछे हटना

No. of 6 Kalma Table

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Dusra Kalma Shahadat in Hindi (दुसरा कलमा शहादत हिंदी में)

"अशहदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु वह-दहू ला-शरी-क लहू व अश-हदु अन्न मुहम्मदन अ’ब्दु-हू व रसू-लुह"

Dusra Kalma Shahadat in Arabic (अरबी में दुसरा कलमा शहादत)

اَشْهَدُ اَنْ لاَّ اِلٰهَ اِلاَّ اﷲُ وَحْدَهُ لَا شَرِيْکَ لَهُ، وَاَشْهَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُوْلُهُ

Dusra Kalma Shahadat in English (अंग्रेजी में दुसरा कलमा शहादत)

"Ash-hadu alla ila-ha illallahu wah-dahu la-shari-ka lahu wa ash-hadu anna Muhammadan a'bdu-hu wa rasu-luh"

Dusra Kalma Shahadat in Urdu (उर्दू में दुसरा कलमा शहादत)

میں گواہی دیتا ہوں کہ خدا کے سوا کوئی معبود نہیں اکیلا ہے اس کا کوئی شریک نہیں اور میں گواہی دیتا ہوں کہ محمد اس کے بندے اور اس کے رسول ہیں۔

Dusra Kalma Shahadat with Tarjuma (तर्जुमा के साथ दुसरा कलमा शहादत)

"मैं गवाही देता हु के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं. और मैं गवाही देता हु कि (हज़रत) मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।"

"I bear witness that there is none worthy of worship except Allah, the One alone, without partner, and I bear witness that Muhammad is His servant and Messenger."

दुसरा कलमा शहादत (Dusra Kalma Shahadat) क्या है?

इसका अर्थ होता है: “मैं गवाही देता हूँ कि कोई माबूद नहीं सिवाए अल्लाह के, वह एक है, उसका कोई शरीक नहीं है, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद उसका बंदा और रसूल है।”

"अशहदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु वह-दहू ला-शरी-क लहू व अश-हदु अन्न मुहम्मदन अ’ब्दु-हू व रसू-लुह"

यह कलमा इस्लामी धर्म में मानवता की एकता, अल्लाह की एकता और मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के प्रेरणास्त्रोता के रूप में मुहम्मद के अद्वितीय महत्व को प्रकट करता है। यह कलमा एक मुस्लिम के ईमान की प्रतिज्ञा के रूप में पढ़ा जाता है और उनके आदर्श जीवन का हिस्सा बनता है।

दुसरा कलमा शहादत (Dusra Kalma Shahadat) कैसे पढ़ा जाता है?

“दूसरा कलमा शहादत” (Dusra Kalma Shahadat) को पढ़ना बहुत ही सरल और सुलभ है। यह कलमा ईमान की प्रतिज्ञा के रूप में मुस्लिमों द्वारा पढ़ा जाता है। निम्नलिखित है इसकी पढ़ने की प्रक्रिया:

اَشْهَدُ اَنْ لاَّ اِلٰهَ اِلاَّ اﷲُ وَحْدَهُ لَا شَرِيْکَ لَهُ، وَاَشْهَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُوْلُهُ

उच्चारण:
“Ashhadu alla ilaha illallah wahdahu la sharika lahu wa ashhadu anna Muhammadan ‘abduhu wa rasuluh.”

अर्थ:
“मैं गवाही देता हूँ कि कोई माबूद नहीं सिवाए अल्लाह के, वह एक है, उसका कोई शरीक नहीं है, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद उसका बंदा और रसूल है।”

पढ़ने की प्रक्रिया:

  1. पहले, आपको एक शांत और साफ स्थान पर बैठना होगा। यह सुनिश्चित करें कि आपके चारों ओर कोई अफसोस नहीं है और आपका ध्यान नहीं बिचका है।
  2. अपने हाथ उठाकर “बिस्मिल्लाह” कहें, जिसका मतलब होता है “अल्लाह की नाम में”।
  3. दूसरा कलमा शहादत (Dusra Kalma Shahadat) को उच्चारण करें: “اشہد ان لآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَہٗ لَا شَرِیْکَ لَہٗ وَاشہَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُہٗ وَ رَسُوْلُہٗ
  4. अंत में, आप दुआ कर सकते हैं जैसे कि “आल्लाह, मैं इस कलमे की पढ़ाई करके आपके सामने सच्चे ईमान की प्रतिज्ञा करता हूँ। मैं आपके बंदे और रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की श्रद्धा करता हूँ। कृपया मुझे आपके मार्गदर्शन में सहायता करें और मेरे जीवन को सच्चे मार्ग पर चलने की तौफीक दें। आमीन।”

यही तरीका है जिससे आप “दूसरा कलमा शहादत” (Dusra Kalma Shahada) को पढ़ सकते हैं। आपके पास किसी बड़े आलिम या मौलवी से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए अवसर होता है, यदि आपके पास और भी सवाल हों तो।

दुसरा कलमा शहादत (Dusra Kalma Shahadat) पढ़ने के फायदे

“दूसरा कलमा शहादत” (Dusra Kalma Shahadat) को पढ़ने के कई आध्यात्मिक और मानवीय फायदे होते हैं। यह कलमा ईमान की प्रतिज्ञा के रूप में मुस्लिमों द्वारा पढ़ा जाता है और उनके आदर्श जीवन का एक हिस्सा बनता है। निम्नलिखित है कुछ महत्वपूर्ण फायदे:

  1. ईमान की प्रतिज्ञा: “दूसरा कलमा” को पढ़कर आप अपने ईमान की प्रतिज्ञा करते हैं, जिससे आपका आध्यात्मिक संवाद और आत्मविश्वास मजबूत होता है।
  2. ईश्वरीयता की प्रतिष्ठा: यह कलमा आपको एक ईश्वर की प्रतिष्ठा करने में मदद करता है और आपके जीवन में आध्यात्मिक दिशा और उद्देश्य की पहचान करता है।
  3. एकता की भावना: “दूसरा कलमा” के उच्चारण से आप एकता की भावना को मजबूत करते हैं, आप सभी मानवों के बीच एकता की महत्वपूर्णता को समझते हैं।
  4. आंतरिक शांति: इस कलमे को पढ़कर आपकी आंतरिक शांति बढ़ती है, आप मानसिक तनाव से मुक्त होते हैं और सद्गति की दिशा में बढ़ते हैं।
  5. सद्गति की प्राप्ति: इस कलमे के पठन से आपको सद्गति की प्राप्ति होती है, आप अपने आत्मा को और अधिक प्रकट करने में सक्षम होते हैं।
  6. मानवता के प्रति सहानुभूति: यह कलमा आपके मानवता के प्रति सहानुभूति की भावना को बढ़ावा देता है, आप सभी मानवों के अधिकारों और इज्जत का सम्मान करते हैं।
  7. सच्चे ईमान का प्रमाण: इस कलमे को पढ़कर आप सच्चे ईमान का प्रमाण देते हैं और अपने आदर्श जीवन की मार्गदर्शा में विश्वासी होते हैं।
  8. आत्मउन्नति: यह कलमा आपके आत्मउन्नति में मदद करता है, आप अपने आप को सद्गुणों की ओर दिशा में बढ़ते हैं।

“दूसरा कलमा शहादत” को पढ़ने से आपके आध्यात्मिक और मानवीय विकास में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आप एक उद्घाटनिक सिद्धांत के साथ जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

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‘OR’


कालिमा शहादत क्या है?

मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं। वह एक है और उसका कोई साझी नहीं। और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद उनके सेवक और दूत हैं।


कलमा शहादत कब पढ़ें?

इसे रोजाना वुजू करने के बाद पांच बार पढ़ा जाता है। यह हमें लगातार इस गवाही की याद दिलाता है जो हम अल्लाह SWT को दे रहे हैं। यह हमें तौहीद की अवधारणा और अल्लाह SWT की एकता सिखाता है।


कलमा शहादत क्यों महत्वपूर्ण है?

इस्लाम के पांच स्तंभ हैं और कलमा तय्यबा या कलमा शहादत उनमें से एक है। इस्लाम के इस पहले स्तंभ के बिना दीन पूरा नहीं होता। चूंकि यह कलमा इस्लाम धर्म में प्रवेश के लिए अनिवार्यता या आवश्यकता है। यह एक मुसलमान को बनाता है कि वह कौन है और वह क्या मानता है

शहादत इस्लाम का कौन सा स्तंभ है?

शाहदाह, आस्था का पेशा, इस्लाम का पहला स्तंभ है।

शहादत और शहीद में क्या अंतर है?

इस्लाम में ‘शहीद’ शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिए किया जाता है जो अपने विश्वास की रक्षा करते हुए ‘जिहाद’ करते हुए मर जाते हैं। सिख धर्म में, वे उन लोगों के लिए ‘शहादत’ शब्द का उपयोग करते हैं जिन्होंने अपने विश्वास की रक्षा करते हुए शहादत प्राप्त की है।

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